Friday 30 March 2012

तुम्हे एक चिंघाड़ की याद कराता हूँ.....



2:09pm Aug 15
तुम्हे एक चिंघाड़ की याद कराता हूँ
आज तुम्हे राजपूतो के सबसे प्यारे आभूषण
तलवार के बारे में बताता हूँ

ये तो युगों से स्वामीभक्ति करती रही
अपने होठो से दुश्मन का रक्तपात करती रही
अरबो को थर्राया इसने,पछायो को तड़पाया भी
गन्दी राजनीती से लड़ते हुए भी हमारा सम्मान करती
रही

ये ही तो राजपूतो आओ मित्रवर मेरी बात सुनो
का असली अलंकार है
इसी से तो शुरू राजपूतो का संसार है
इसके हाथ में आते ही शुरू संहार है
इसके हाथ में आते ही दुश्मन के सारे शस्त्र बेकार है

जीवो के बूढा होने पर उसे तो नहीं छोड़ते
तो तलवार को क्यों छोड़ दिया
बूढे जीवो को जब कृतघ्नता के साथ सम्मान से रखते हो
तो मेरे भाई तलवार ने कौन सा तुम्हारा अपमान किया

इसी ने हमेशा है ताज दिलाये
इसी ने दिलाया अनाज भी
जब भी आर्यावृत पर गलत नज़र पड़ी
तब अपने रोद्र से इसने दिलाया हमें नाज़ भी

इसी ने दुश्मन के कंठ में घुसकर
उसकी आह को भी रोक दिया
जो आखिरी बूंद बची थी रक्त की
उसे भी अपने होठो से सोख लिया

मैं तो सच्चा राजपूत हूँ
इतनी आसानी से कैसे अपनी तलवार छोड़ दूँ
मैं तो क्षत्राणी का पूत हूँ
मैं कैसे इस पहले प्यार से मुह मोड़ लू

AABHAR:- SHIVRAJ SINGH JI SHEKHAWAT HOKAM

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