Friday, 13 April 2012

Royal Blood...Royal Attitude

:: Royal Blood...Royal Attitude ::

जब-जब तेरी तलवार उठी....


जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी।फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥
था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था।थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबर तुझसे डरता था॥

हर मां कि ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा कर...
े।देख के उसकी शक्ती को, हर दुशमन उससे डरा करे॥
करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है।तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है॥

हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा।मै हु तेरा एक अनुयायी,दुश्मन को मार भगाऊंगा॥
है धर्म हर हिन्दुस्तानी का,कि तेरे जैसा बनने का।चलना है अब तो उसी मार्ग,जो मार्ग दिखाया प्रताप ने॥

"माई ऐडा पूत जण जैडा राणा प्रताप अकबर सोतो उज के जाण सिराणे साँप"
"चार बांस चौबीस गज, अष्ट अंगुल प्रमाण,ता ऊपर सुलतान है, मत चूके चौहान"

"बलहट बँका देवड़ा, करतब बँका गौड़,हाडा बँका गाढ़ में, रण बँका राठौड़"

एकलिंगगढ़ उदयपुर


एकलिंगगढ़ उदयपुर*. उदयपुर राजस्थान का एक ख़ूबसूरत शहरहै। और उदयपुर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।
*. राजा तो उनके प्रतिनिधि के रूप में यहाँ शासन करता था।
*. उदयपुर से यह 12 मील कीदूरी पर स्थित है।
*. बांध के पास की ऊँची पहाड़...ी माछला मगरा (मत्स्य-शैल) कहलाती है। एकलिंगगढ़ दुर्ग इसी पहाड़ी पर बना हुआ है।
*. इस जगह पर अभी भी कुछ तोपें रखी हुई है।
*. मरहटों के आक्रमण के समय इस दुर्ग ने नगर की रक्षा करने में बहुत सहायता की थी।
*. इसके दक्षिण में अरावली पर्वतमाला की श्यामवर्ण पहाड़ियाँ शोभायमान हैं।
*. इस मंदिर का निर्माण बप्‍पा रावल ने 8वीं शताब्‍दी में करवाया था।
*. बाद में यह मंदिर टूटा और पुन:बना था।
*. वर्तमान मंदिर का निर्माण महाराणा रायमल ने 15वीं शताब्‍दी में करवाया था।
*. इस परिसर में कुल 108 मंदिर हैं।
*. मुख्‍य मंदिर में एकलिंगजी की चार सिरों वाली मूर्त्ति स्‍थापित है।
*. उदयपुर से यहाँ जाने के लिए बसें मिलती हैं।
*. राजस्थान का प्रसिद्ध शिव तीर्थस्थान है।
*. एकलिंगजी की मूर्ति में चारों ओर मुख हैं। अर्थात् यह चतुर्मुख लिंग है।
*. एकलिंगजी मेवाड़ के महाराणाओं के आराध्य देव हैं। इसके पास में इन्द्रसागर नामक सरोवर भी है। आसपासमें गणेश , लक्ष्मी , डुटेश्वर, धारेश्वर आदि कई देवताओं के मन्दिर हैं। पास में हीवनवासिनी देवी का मन्दिर भी है।
जय एकलिंगनाथ जी की।
जय मेवाङ।

Friday, 30 March 2012

तुम्हे एक चिंघाड़ की याद कराता हूँ.....



2:09pm Aug 15
तुम्हे एक चिंघाड़ की याद कराता हूँ
आज तुम्हे राजपूतो के सबसे प्यारे आभूषण
तलवार के बारे में बताता हूँ

ये तो युगों से स्वामीभक्ति करती रही
अपने होठो से दुश्मन का रक्तपात करती रही
अरबो को थर्राया इसने,पछायो को तड़पाया भी
गन्दी राजनीती से लड़ते हुए भी हमारा सम्मान करती
रही

ये ही तो राजपूतो आओ मित्रवर मेरी बात सुनो
का असली अलंकार है
इसी से तो शुरू राजपूतो का संसार है
इसके हाथ में आते ही शुरू संहार है
इसके हाथ में आते ही दुश्मन के सारे शस्त्र बेकार है

जीवो के बूढा होने पर उसे तो नहीं छोड़ते
तो तलवार को क्यों छोड़ दिया
बूढे जीवो को जब कृतघ्नता के साथ सम्मान से रखते हो
तो मेरे भाई तलवार ने कौन सा तुम्हारा अपमान किया

इसी ने हमेशा है ताज दिलाये
इसी ने दिलाया अनाज भी
जब भी आर्यावृत पर गलत नज़र पड़ी
तब अपने रोद्र से इसने दिलाया हमें नाज़ भी

इसी ने दुश्मन के कंठ में घुसकर
उसकी आह को भी रोक दिया
जो आखिरी बूंद बची थी रक्त की
उसे भी अपने होठो से सोख लिया

मैं तो सच्चा राजपूत हूँ
इतनी आसानी से कैसे अपनी तलवार छोड़ दूँ
मैं तो क्षत्राणी का पूत हूँ
मैं कैसे इस पहले प्यार से मुह मोड़ लू

AABHAR:- SHIVRAJ SINGH JI SHEKHAWAT HOKAM

Saturday, 24 March 2012

RAJPUTANA WALLPAPER'S

 
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